RBI ने दूसरी बार Repo Rate में की 2.5% की कटौती

🔔 RBI ने दूसरी बार घटाया Repo Rate – क्या होगा असर?

"अप्रैल 2025 की भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा जारी मौद्रिक नीति अपडेट की तालिका, जिसमें रेपो रेट, बैंक रेट और अन्य वित्तीय दरों में किए गए बदलाव को दर्शाया गया है।"
“RBI द्वारा अप्रैल 2025 में जारी मौद्रिक नीति की प्रमुख दरों में बदलाव की जानकारी”

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने एक बार फिर Repo Rate में कटौती की है। इस बार 0.25% की कमी की गई है, जिससे अब रेपो रेट घटकर 6.00% हो गया है। यह लगातार दूसरी बार है जब RBI ने ब्याज दरों में कटौती की है।


📉 क्यों की गई यह कटौती?

  • अमेरिका के आयात शुल्क का असर: हाल ही में अमेरिका ने भारत से आने वाले कुछ उत्पादों पर 26% तक का शुल्क लगा दिया है, जिससे भारतीय निर्यात पर दबाव बढ़ा है। इससे देश की आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ सकता है।

  • धीमी आर्थिक रफ्तार: भारतीय रिज़र्व बैंक ने आने वाले वित्त वर्ष में भारत की GDP वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 6.5% कर दिया है, जो पहले 6.7% था। इसका मतलब है कि आर्थिक विकास की गति थोड़ी धीमी पड़ सकती है।


🏦 इसका क्या असर होगा आम लोगों पर?

  • सस्ते होंगे लोन: रेपो रेट कम होने से बैंकों को भी सस्ते दरों पर पैसा मिलेगा। इसका सीधा फायदा आम लोगों को मिलेगा – होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन की ब्याज दरें कम हो सकती हैं।

  • बढ़ेगा निवेश और खर्च: जब लोन सस्ते होंगे तो लोग खरीदारी और निवेश के लिए ज्यादा प्रेरित होंगे। इससे बाजार में गतिविधियां तेज हो सकती हैं।

  • महंगाई पर नजर: हाल फिलहाल महंगाई दर करीब 4% है, जो RBI के लक्ष्य के अंदर है। लेकिन अगर मांग ज्यादा बढ़ती है, तो कीमतों में थोड़ी तेजी आ सकती है।


🔮 आगे क्या हो सकता है?

अगर आर्थिक हालात नहीं सुधरे, तो भारतीय रिज़र्व बैंक आगे भी रेपो रेट में कटौती कर सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल के अंत तक रेपो रेट और घटकर 5.5% तक आ सकता है।


निष्कर्ष:

भारतीय रिज़र्व बैंक का यह कदम देश की धीमी होती अर्थव्यवस्था को सहारा देने की कोशिश है। इससे न केवल लोन लेने वालों को राहत मिलेगी, बल्कि बाजार में मांग और निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, जो भारत की आर्थिक सेहत को बेहतर बना सकता है।

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📌 Repo Rate (रेपो रेट) क्या होता है?

रेपो रेट वह दर (ब्याज) होती है, जिस पर भारतीय रिज़र्व बैंक देश के अन्य बैंकों को कम समय के लिए पैसा उधार देता है। जब बैंकों को पैसों की जरूरत होती है, तो वे RBI से कर्ज लेते हैं और उसके बदले में कुछ सरकारी बॉन्ड गिरवी रखते हैं। इस कर्ज पर जो ब्याज लगता है, वही रेपो रेट कहलाता है।


🎯 Repo Rate क्यों जरूरी है?

"Repo Rate से जुड़ी जानकारी दर्शाने वाला एक चित्र, जिसमें भारतीय रिज़र्व बैंक(RBI) की मौद्रिक नीति को समझाया गया है।"
“Repo Rate की भूमिका और इसके असर को दर्शाने वाला सूचना-आधारित चित्र।”
  • यह देश की आर्थिक सेहत को संतुलित रखने में मदद करता है।

  • RBI इसी दर को बढ़ाकर या घटाकर महंगाई पर नियंत्रण करता है।

  • बैंकों की लोन देने की क्षमता को भी यह रेट प्रभावित करता है।

  • यह आम आदमी के लिए लोन की लागत (interest rate) को भी तय करता है।


⚙️ रेपो रेट के बदलाव का असर क्या होता है?

🔻 अगर रेपो रेट घटता है:
  • बैंकों को भारतीय रिज़र्व बैंक से सस्ता कर्ज मिलता है।

  • बैंक भी लोगों को सस्ते लोन देने लगते हैं (जैसे होम लोन, कार लोन आदि)।

  • लोग ज्यादा खर्च करते हैं, जिससे बाजार में मांग बढ़ती है।

  • निवेश और बिज़नेस ग्रोथ को बढ़ावा मिलता है।

🔺 अगर रेपो रेट बढ़ता है:
  • बैंकों की कर्ज लेने की लागत बढ़ती है।

  • लोन महंगे हो जाते हैं, लोग कम उधार लेते हैं।

  • खर्च और मांग में कमी आती है।

  • इससे महंगाई पर काबू पाया जा सकता है।


निष्कर्ष:

रेपो रेट एक अहम टूल है, जिसकी मदद से RBI देश की आर्थिक चाल को नियंत्रित करता है। इससे न केवल बैंकिंग सेक्टर, बल्कि आम जनता, बिज़नेस, और महंगाई पर भी बड़ा असर पड़ता है।

For More Information – https://www.rbi.org.in/


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