भारत की आर्थिक वृद्धि और UNCTAD का अनुमान 2025 – जानें पूरी जानकारी

परिचय

भारत, विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (UNCTAD) ने 2025 में भारत की अर्थव्यवस्था के 6.5% की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया है। यह अनुमान विभिन्न घरेलू और वैश्विक आर्थिक कारकों के आधार पर लगाया गया है।

आइए विस्तार से समझते हैं कि यह आर्थिक वृद्धि किस आधार पर अनुमानित की गई है, किन क्षेत्रों में वृद्धि देखी जा सकती है, और क्या चुनौतियाँ हो सकती हैं।

भारत की आर्थिक वृद्धि के प्रमुख कारक

भारत की अर्थव्यवस्था की मजबूती निम्नलिखित कारकों पर आधारित है:

  1. मजबूत सार्वजनिक निवेश
    • भारतीय सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर, डिजिटल इंडिया, और निर्माण क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश कर रही है।
    • सड़कें, रेलवे, बंदरगाह, और एयरपोर्ट का विकास भारत के लॉजिस्टिक्स और व्यापार को बढ़ावा देगा।
  2. मौद्रिक नीति में सुधार
    • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने पिछले कुछ वर्षों में नीतिगत ब्याज दरों में बदलाव किया है ताकि लोन लेने की प्रक्रिया आसान हो सके।
    • इससे छोटे व्यवसायों और स्टार्टअप्स को बढ़ावा मिलेगा।
  3. वैश्विक व्यापार अवसर
    • भारत की मेक इन इंडिया नीति और आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा दिया जा रहा है।
    • इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल, फार्मा और टेक सेक्टर में भारत विश्व बाजार में प्रतिस्पर्धा कर रहा है।
  4. जनसांख्यिकीय लाभ
    • भारत की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा युवा है, जो कुशल श्रमिकों की उपलब्धता को बढ़ाता है।
    • स्किल इंडिया मिशन के तहत लोगों को नई तकनीकी दक्षताओं से लैस किया जा रहा है।

UNCTAD के अनुमान का वैश्विक परिप्रेक्ष्य

UNCTAD की रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक अर्थव्यवस्था 2025 में 2.3% की दर से बढ़ सकती है, जो मंदी की सीमा के करीब है।

विश्व में आर्थिक मंदी का प्रभाव

  • यूरोप और अमेरिका की अर्थव्यवस्थाएं उच्च मुद्रास्फीति और ब्याज दरों की वजह से धीमी गति से बढ़ रही हैं।
  • चीन की आर्थिक मंदी और उसकी विकास दर में गिरावट का प्रभाव भारत पर भी पड़ सकता है।
  • तेल और ऊर्जा बाजारों में अनिश्चितता भारत की विकास दर को प्रभावित कर सकती है।

इसके बावजूद, भारत की आंतरिक आर्थिक मजबूती इसे वैश्विक चुनौतियों से उबरने में सक्षम बना सकती है।

भारत की अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्र (2025 में संभावित वृद्धि)

  1. इन्फ्रास्ट्रक्चर और निर्माण क्षेत्र
    • भारत में रेलवे, सड़कों, स्मार्ट सिटी और आवासीय योजनाओं पर भारी निवेश किया जा रहा है।
    • इसके चलते रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।
  2. सूचना प्रौद्योगिकी (IT) और स्टार्टअप सेक्टर
    • भारत का आईटी सेक्टर वैश्विक स्तर पर अग्रणी है और AI, क्लाउड कंप्यूटिंग, डेटा एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में विकास जारी है।
    • स्टार्टअप इंडिया अभियान के तहत नए व्यवसायों को बढ़ावा मिल रहा है।
  3. ई-कॉमर्स और डिजिटल क्रांति
    • UPI और डिजिटल ट्रांजैक्शन के बढ़ते उपयोग से भारत का फिनटेक सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है।
    • अमेजन, फ्लिपकार्ट और स्थानीय ई-कॉमर्स स्टार्टअप्स नए अवसर पैदा कर रहे हैं।
  4. ग्रीन एनर्जी और सतत विकास
    • भारत ने 2030 तक 500 GW नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है।
    • सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और इलेक्ट्रिक व्हीकल सेक्टर में नई संभावनाएँ हैं।

संभावित चुनौतियाँ

  1. मुद्रास्फीति और महंगाई
    • यदि खाद्य वस्तुओं और पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ते हैं, तो इससे खपत (Consumption) पर असर पड़ेगा।
  2. वैश्विक व्यापार अस्थिरता
    • यदि अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध जारी रहता है, तो इसका असर भारतीय निर्यात पर भी पड़ेगा।
  3. रोजगार और कौशल विकास
    • भारत में बड़ी जनसंख्या होने के बावजूद, यदि युवा वर्ग को पर्याप्त रोजगार नहीं मिलता, तो आर्थिक विकास अस्थिर हो सकता है।

निष्कर्ष

संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (UNCTAD) द्वारा दिया गया भारत की आर्थिक वृद्धि का 6.5% का अनुमान देश के मजबूत विकास पथ को दर्शाता है। हालांकि, वैश्विक चुनौतियों को ध्यान में रखकर भारत को सतत विकास, नवाचार और रोजगार सृजन पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है।

यदि भारत सही रणनीति अपनाता है और अपनी नीतियों को स्थिर और प्रभावी बनाए रखता है, तो यह 2025 में एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभर सकता है।

संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (UNCTAD) – सम्पूर्ण जानकारी:

परिचय

संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (UNCTAD) एक अंतर-सरकारी संगठन है, जो विकासशील देशों के व्यापार, निवेश, वित्त और प्रौद्योगिकी से जुड़े मुद्दों को संबोधित करता है। यह संयुक्त राष्ट्र महासभा के अंतर्गत कार्य करता है और वैश्विक व्यापार में निष्पक्षता और समावेशिता को बढ़ावा देने का प्रयास करता है।

UNCTAD की स्थापना और मुख्यालय

  • स्थापना वर्ष: 1964
  • मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड
  • संस्थापक: संयुक्त राष्ट्र महासभा
  • पहला महासचिव: राउल प्रेबिश (Raúl Prebisch), अर्जेंटीना के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री
  • वर्तमान महासचिव: रेबेका ग्रीनस्पैन (Rebeca Grynspan)
  • सदस्य देश: 195 (संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश शामिल हैं)

UNCTAD का लोगो

"UNCTAD और भारत की 2025 की आर्थिक वृद्धि पर रिपोर्ट के संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र का लोगो"
संयुक्त राष्ट्र की व्यापार और विकास संस्था (UNCTAD) ने 2025 में भारत की आर्थिक वृद्धि को लेकर नया अनुमान जारी किया है।

अंकटाड (UNCTAD) का लोगो संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन की पहचान को दर्शाता है। यह लोगो एक वैश्विक दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित करता है, जिसमें व्यापार और विकास के माध्यम से देशों को एकजुट करने का संदेश निहित है। इसके डिजाइन में एक संतुलित और आधुनिक दृष्टिकोण अपनाया गया है, जो संगठन के मूल्यों और उद्देश्यों को स्पष्ट रूप से व्यक्त करता है। यह लोगो विकासशील देशों को वैश्विक अर्थव्यवस्था में समान रूप से भाग लेने के लिए प्रेरित करने की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।

UNCTAD का उद्देश्य

UNCTAD का मुख्य उद्देश्य विकासशील देशों को वैश्विक व्यापार और अर्थव्यवस्था में अधिक प्रभावी रूप से भाग लेने में सहायता करना है। इसके प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं:

  1. वैश्विक व्यापार नीति निर्माण
  2. विकासशील देशों को आर्थिक सहयोग प्रदान करना
  3. नवाचार और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को बढ़ावा देना
  4. निवेश और वित्तीय स्थिरता को सुनिश्चित करना
  5. सतत विकास और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देना

UNCTAD के ऐतिहासिक क्षण

1. UNCTAD-I (1964, जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड)

  • पहली बार विकासशील देशों के व्यापार और आर्थिक मुद्दों पर चर्चा हुई।
  • G77 समूह का गठन हुआ, जो विकासशील देशों की आवाज़ को मजबूत करने के लिए बनाया गया था।

2. 1970-1980: नई अंतरराष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था (NIEO)

  • UNCTAD ने विकासशील देशों के लिए व्यापार में सुधार की मांग की।
  • सामान्यीकृत प्राथमिकता प्रणाली (GSP) लागू की गई, जिससे विकासशील देशों को व्यापार में रियायतें मिलीं।

3. 1995: विश्व व्यापार संगठन (WTO) की स्थापना

  • WTO के गठन के बाद, UNCTAD ने विकासशील देशों के लिए व्यापार नीति सुधार पर ध्यान केंद्रित किया।
  • नवाचार और डिजिटल व्यापार को बढ़ावा देने के लिए नई रणनीतियाँ बनाई गईं।

4. 2000: बैंकॉक सम्मेलन – “द स्पिरिट ऑफ बैंकॉक”

  • इस सम्मेलन में वैश्वीकरण और विकास पर चर्चा हुई।
  • नवाचार और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए नई नीतियाँ बनाई गईं।

5. 2021: COVID-19 महामारी और डिजिटल व्यापार

  • UNCTAD ने महामारी के दौरान वैश्विक व्यापार पर प्रभाव का अध्ययन किया।
  • डिजिटल व्यापार और ई-कॉमर्स को बढ़ावा देने के लिए नई नीतियाँ लागू की गईं।

UNCTAD की प्रमुख रिपोर्टें

UNCTAD विभिन्न रिपोर्टें प्रकाशित करता है, जो वैश्विक व्यापार और आर्थिक विकास पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती हैं:

  1. ट्रेड एंड डेवलपमेंट रिपोर्ट
  2. वर्ल्ड इन्वेस्टमेंट रिपोर्ट
  3. द लीस्ट डेवलप्ड कंट्रीज़ रिपोर्ट
  4. For More Infromation – https://unctad.org/

निष्कर्ष

UNCTAD वैश्विक व्यापार और विकासशील देशों की आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी नीतियाँ और रिपोर्टें विकासशील देशों को व्यापार और निवेश के अवसरों को समझने और उनका लाभ उठाने में मदद करती हैं

अधिक जानकारी के लिए आप हमारी वेबसाइट https://currentafffairs.com/ पर Visit करें |

 

 

 

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