“पूनम गुप्ता को RBI का नया Deputy Governor किया गया नियुक्त – जानिए उनकी भूमिका और अनुभव!”

पूनम गुप्ता – New Deputy Governor of RBI

पूनम गुप्ता को 2 अप्रैल 2025 को भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के डिप्टी गवर्नर के रूप में नियुक्त किया गया है। वह इस पद पर तीन वर्षों तक कार्य करेंगी और माइकल पात्रा की जगह लेंगी, जिनका कार्यकाल जनवरी 2025 में समाप्त हो गया था।

पूनम गुप्ता का परिचय

"RBI के नए Deputy Governor पूनम गुप्ता की तस्वीर, उनके साथ आरबीआई का लोगो।"
“पूनम गुप्ता को भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के नए Deputy Governor के रूप में नियुक्त किया गया।”
  • शैक्षणिक पृष्ठभूमि: उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री प्राप्त की है और अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ़ मैरीलैंड से अर्थशास्त्र में मास्टर व पीएचडी की उपाधि हासिल की है।

  • पेशेवर अनुभव: पूनम गुप्ता वर्तमान में नेशनल काउंसिल ऑफ़ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (NCAER) की महानिदेशक हैं। इससे पहले, वह विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में वरिष्ठ अर्थशास्त्री के रूप में कार्य कर चुकी हैं।

  • सलाहकार भूमिकाएँ: वह प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की सदस्य और 16वें वित्त आयोग की सलाहकार परिषद की संयोजक भी हैं।

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) में उनकी भूमिका

डिप्टी गवर्नर बनने के बाद, पूनम गुप्ता मौद्रिक नीति समिति (MPC) की सदस्य बनेंगी। उनकी विशेषज्ञता से बैंकिंग और आर्थिक नीतियों को नई दिशा मिलने की उम्मीद है।

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) का संपूर्ण इतिहास और विकास

भारतीय रिज़र्व बैंक देश की केंद्रीय बैंकिंग संस्था है, जो भारतीय वित्तीय प्रणाली का प्रमुख स्तंभ है। इसकी स्थापना से लेकर अब तक, RBI ने देश की अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने और मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आइए, इसके इतिहास, कार्यों और विकास के बारे में विस्तार से जानते हैं।


भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की स्थापना और शुरुआती दौर

"भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) का आधिकारिक लोगो, जिसमें एक बाघ और एक ताड़ का पेड़ दर्शाया गया है।"
“भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) का प्रतीक चिन्ह, जो भारत की आर्थिक शक्ति और स्थिरता का प्रतिनिधित्व करता है।”                                                               For More Information –                     https://www.rbi.org.in/

स्थापना:
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की स्थापना 1 अप्रैल 1935 को RBI अधिनियम, 1934 के तहत की गई थी। इसे ब्रिटिश शासन के दौरान भारत की मौद्रिक नीतियों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था। शुरुआत में, यह एक निजी बैंक के रूप में कार्य कर रहा था।

पहला गवर्नर:
RBI के पहले गवर्नर सर ओसबोर्न स्मिथ थे, और उनके बाद सर जेम्स टेलर इस पद पर नियुक्त हुए।

राष्ट्रीयकरण:
आज भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) पूरी तरह से भारत सरकार के अधीन है, लेकिन शुरुआत में यह एक निजी स्वामित्व वाली संस्था थी। 1 जनवरी 1949 को इसका राष्ट्रीयकरण कर दिया गया, जिससे यह सरकार के पूर्ण नियंत्रण में आ गया।


भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की प्रमुख भूमिकाएँ और कार्य

भारतीय रिज़र्व बैंक का मुख्य कार्य देश की मौद्रिक और वित्तीय स्थिरता को बनाए रखना है। इसके कुछ प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं:

1. मौद्रिक नीति का संचालन

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) का सबसे महत्वपूर्ण कार्य मौद्रिक नीति (Monetary Policy) को लागू करना है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति (Inflation) और तरलता (Liquidity) को संतुलित किया जा सके।

2. भारतीय मुद्रा (रुपया) का नियंत्रण

भारतीय रिज़र्व बैंक भारत में मुद्रा जारी करने का एकमात्र अधिकार रखता है। यह ₹2 और उससे ऊपर के सभी नोटों को जारी करता है, जबकि छोटे सिक्के भारत सरकार द्वारा बनाए जाते हैं।

3. बैंकों का नियमन और नियंत्रण

सभी वाणिज्यिक बैंकों (Public & Private Banks) का नियंत्रण और निगरानी RBI के अंतर्गत आता है। यह लाइसेंस जारी करने, वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने और बैंकों की तरलता बनाए रखने का कार्य करता है।

4. विदेशी मुद्रा भंडार का प्रबंधन

भारतीय रिज़र्व बैंक विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) को नियंत्रित करता है और भारतीय रुपये की विनिमय दर (Exchange Rate) को स्थिर बनाए रखने में सहायता करता है।

5. डिजिटल और ऑनलाइन बैंकिंग का विकास

भारतीय रिज़र्व बैंक डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए UPI, NEFT, RTGS, और IMPS जैसी सेवाओं का संचालन करता है।


भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) में समय के साथ हुए बदलाव और सुधार

1. उदारीकरण और निजीकरण (1991 के बाद का दौर)

1991 में जब भारत ने आर्थिक उदारीकरण (Liberalization) की नीति अपनाई, तब भारतीय रिज़र्व बैंक ने कई सुधार किए। इस दौर में निजी बैंकों को अधिक स्वतंत्रता दी गई और कई विदेशी बैंकों को भारत में प्रवेश की अनुमति मिली।

2. मौद्रिक नीति समिति (MPC) का गठन (2016)

2016 में सरकार ने मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee – MPC) का गठन किया, जो रेपो रेट और अन्य बैंकिंग नीतियों पर निर्णय लेती है।

3. डिजिटल बैंकिंग और भुगतान क्रांति

भारतीय रिज़र्व बैंक ने डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा देने के लिए UPI (Unified Payments Interface), FASTag, e-RUPI जैसे प्लेटफॉर्म को विकसित किया, जिससे ऑनलाइन लेन-देन में तेजी आई।

4. RBI का COVID-19 के दौरान योगदान (2020-2021)

COVID-19 महामारी के दौरान RBI ने कई राहत पैकेज जारी किए, ब्याज दरों में कटौती की और बैंकों को लोन पुनर्गठन (Loan Restructuring) की सुविधा दी।


वर्तमान समय में RBI और भविष्य की योजनाएँ

आज भारतीय रिज़र्व बैंक की भूमिका केवल बैंकिंग तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे वित्तीय क्षेत्र को नियंत्रित कर रहा है। वर्तमान में शक्तिकांत दास RBI के गवर्नर हैं, और बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC), ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी, साइबर सिक्योरिटी, और वित्तीय समावेशन पर काम कर रहा है।


भारतीय रिज़र्व बैंक से जुड़ी कुछ रोचक और महत्वपूर्ण जानकारियाँ

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) सिर्फ एक केंद्रीय बैंक नहीं है, बल्कि यह भारत की आर्थिक नीतियों, मुद्रास्फीति नियंत्रण, बैंकिंग प्रणाली, और वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने में एक अहम भूमिका निभाता है। इसके कार्यों और इतिहास से हटकर, कुछ अतिरिक्त रोचक और कम ज्ञात जानकारियाँ यहाँ दी जा रही हैं:


1. भारतीय रिज़र्व बैंक का प्रतीक चिन्ह (लोगो) क्यों खास है?

RBI के लोगो में एक ताड़ का पेड़ और एक बाघ दर्शाया गया है। यह डिज़ाइन ब्रिटिश भारत के तत्कालीन गवर्नमेंट ऑफ इंडिया के प्रतीक से प्रेरित है। इसमें बाघ भारत की ताकत और आत्मनिर्भरता को दर्शाता है, जबकि ताड़ का पेड़ वित्तीय स्थिरता का प्रतीक है।


2. RBI का पहला मुख्यालय कहाँ था?

भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना 1935 में कोलकाता में हुई थी, लेकिन 1937 में इसे मुंबई स्थानांतरित कर दिया गया।


3. क्या आप जानते हैं कि RBI पहले पाकिस्तान के लिए भी काम करता था?

जब 1947 में भारत और पाकिस्तान का विभाजन हुआ, तो RBI ने पाकिस्तान की नई अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए 75 करोड़ रुपये (750 मिलियन रुपये) की राशि प्रदान की। यह मदद सिर्फ 30 जून 1948 तक जारी रही, क्योंकि इसके बाद पाकिस्तान ने अपना खुद का केंद्रीय बैंक (State Bank of Pakistan) स्थापित कर लिया।


4. RBI ने 1969 में 14 बड़े बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था।

भारत में बैंकिंग प्रणाली को मजबूत करने के लिए 1969 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में 14 बड़े बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य था कि बैंकिंग सेवाएँ केवल धनी वर्ग तक ही सीमित न रहें, बल्कि देश के हर वर्ग तक पहुँचे।


5. रिज़र्व बैंक न केवल बैंकिंग बल्कि वित्तीय धोखाधड़ी रोकने के लिए भी काम करता है।

भारतीय रिज़र्व बैंक भारत में साइबर क्राइम और वित्तीय धोखाधड़ी को रोकने के लिए कई नियम लागू करता है। डिजिटल बैंकिंग और ऑनलाइन भुगतान प्रणाली के बढ़ते उपयोग के कारण, RBI ने ‘ओम्बड्समैन योजना’ लागू की, जिससे लोग बैंकिंग से जुड़ी शिकायतें आसानी से दर्ज करा सकते हैं।


6. क्या RBI खुद बैंकों को लोन देता है?

हाँ! RBI देश के सभी बैंकों के लिए एक “बैंक का बैंक” है। जब बैंकों को नकदी की जरूरत होती है, तो वे RBI से रेपो रेट (Repo Rate) पर लोन लेते हैं। इससे भारत की पूरी बैंकिंग प्रणाली सुचारू रूप से काम कर पाती है।


7. भारतीय रिज़र्व बैंक ने डिजिटल करेंसी (CBDC) भी लॉन्च की है।

भारतीय रिज़र्व बैंक ने हाल ही में डिजिटल रुपया (e₹ – Central Bank Digital Currency – CBDC) पेश किया है। यह एक ब्लॉकचेन आधारित डिजिटल करेंसी है, जो डिजिटल भुगतान को और सुरक्षित और तेज़ बनाएगी।


8. RBI के पास दुनिया का पाँचवां सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार है।

भारतीय रिज़र्व बैंक के पास 600 अरब डॉलर से अधिक का विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) है, जिससे भारत को किसी भी आर्थिक संकट से बचने में मदद मिलती है।


निष्कर्ष

भारतीय रिज़र्व बैंक न केवल बैंकों का बैंक है, बल्कि यह भारत की आर्थिक स्थिरता और वित्तीय संरचना को बनाए रखने की रीढ़ भी है। 1935 में एक साधारण केंद्रीय बैंक के रूप में शुरू होकर, आज भारतीय रिज़र्व बैंक वैश्विक स्तर पर एक प्रभावशाली वित्तीय संस्था बन चुका है। भविष्य में, यह डिजिटल बैंकिंग और वित्तीय तकनीकों के माध्यम से भारत को एक मजबूत आर्थिक शक्ति बनाने में अपनी भूमिका निभाता रहेगा।

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