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“IISc बेंगलुरु ने विकसित की चंद्र आवासों की ईंटों की मरम्मत के लिए बैक्टीरिया आधारित अत्याधुनिक तकनीक”

भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु के शोधकर्ताओं ने चंद्रमा पर उपयोग के लिए ईंटों की मरम्मत हेतु एक नवीन बैक्टीरिया-आधारित तकनीक विकसित की है। यह तकनीक चंद्रमा के कठोर वातावरण में क्षतिग्रस्त ईंटों की मरम्मत करके उनकी मजबूती बहाल करने में सक्षम है।

भारतीय शोधकर्ताओं द्वारा विकसित नई तकनीक, जो अंतरिक्ष में ईंटों की मरम्मत को आसान बनाएगी, जल्द ही गगनयान मिशन के तहत परीक्षण की जाएगी।

तकनीक का विवरण:

चंद्रमा पर निर्माण के लिए संभावित लाभ:

यह तकनीक भविष्य में चंद्रमा पर स्थायी मानव बस्तियों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, जिससे वहां की संरचनाएं अधिक टिकाऊ और सुरक्षित बन सकेंगी।

IISc वैज्ञानिकों की नई खोज: बैक्टीरिया से अंतरिक्ष ईंटों की मरम्मत

भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु के वैज्ञानिकों ने एक नई तकनीक विकसित की है, जिससे अंतरिक्ष में इस्तेमाल होने वाली ईंटों की दरारों को आसानी से भरा जा सकता है। यह तकनीक एक विशेष बैक्टीरिया, Sporosarcina pasteurii, का उपयोग करती है, जो ईंटों की मरम्मत करने और उन्हें अधिक मजबूत बनाने में सहायक है।

तकनीक की विशेषताएँ

गगनयान मिशन से जुड़ाव

IISc के वैज्ञानिक इस बैक्टीरिया को गगनयान मिशन के तहत अंतरिक्ष में भेजने की योजना बना रहे हैं। इस मिशन के दौरान बैक्टीरिया की प्रभावशीलता का परीक्षण किया जाएगा, जिससे यह पता चलेगा कि यह तकनीक शून्य गुरुत्वाकर्षण और अंतरिक्ष के अन्य प्रभावों के तहत कितनी प्रभावी होगी।

भविष्य में संभावनाएँ

IISc की यह खोज न केवल भारत के अंतरिक्ष मिशनों को मजबूती देगी, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक अनूठा और टिकाऊ समाधान प्रदान कर सकती है।

भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु: एक संपूर्ण परिचय

स्थापना और प्रारंभिक इतिहास

“भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु – भारत का प्रमुख अनुसंधान संस्थान, जहां विज्ञान और तकनीक का संगम होता है।”

भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) की स्थापना 1909 में हुई थी। इसकी स्थापना टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा, मैसूर के महाराजा कृष्णराज वोडेयार IV, और ब्रिटिश प्रशासक लॉर्ड कर्ज़न के संयुक्त प्रयासों से हुई। जमशेदजी टाटा का सपना था कि भारत में वैज्ञानिक और तकनीकी अनुसंधान के लिए एक उत्कृष्ट केंद्र हो, जो देश की औद्योगिक और तकनीकी उन्नति में सहायक बने।

   For More Inormation – https://iisc.ac.in/

संस्थान की आधारशिला मैसूर राज्य के महाराजा ने रखी और इसे बेंगलुरु में स्थापित किया गया, जो अपने अनुकूल मौसम और शांत वातावरण के कारण शोध के लिए उपयुक्त था।

शैक्षणिक और शोध गतिविधियाँ

IISc मुख्य रूप से वैज्ञानिक अनुसंधान और उच्च शिक्षा पर केंद्रित है। यह संस्थान इंजीनियरिंग, विज्ञान, डिजाइन और प्रबंधन से जुड़े कई पाठ्यक्रम संचालित करता है। प्रमुख क्षेत्रों में शामिल हैं:

IISc को अपने उन्नत शोध प्रयोगशालाओं और उच्च स्तरीय अनुसंधान के लिए जाना जाता है। संस्थान में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय शोध परियोजनाएँ चलती हैं।

तकनीकी और औद्योगिक योगदान

IISc ने भारत के वैज्ञानिक और औद्योगिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कुछ प्रमुख उपलब्धियाँ:

नवीनतम प्रगति और उपलब्धियाँ

IISc का वैश्विक दर्जा और मान्यता

IISc को दुनिया के शीर्ष अनुसंधान संस्थानों में गिना जाता है। इसे QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग और NIRF रैंकिंग में भारत का सर्वश्रेष्ठ संस्थान माना गया है।

निष्कर्ष

भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु, विज्ञान और प्रौद्योगिकी अनुसंधान में भारत का गौरव है। इस संस्थान ने देश के वैज्ञानिक, तकनीकी और औद्योगिक विकास में अभूतपूर्व योगदान दिया है और यह आगे भी भारत की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा।

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