18 अप्रैल को मनाया गया विश्व धरोहर दिवस 2025

18 अप्रैल 2025 को मनाया गया विश्व धरोहर दिवस: धरोहर संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण पहल

विश्व धरोहर दिवस 2025 के उपलक्ष्य में विभिन्न ऐतिहासिक स्थलों और स्मारकों को दर्शाने वाले पोस्टरों का संकलन, जो सांस्कृतिक विरासत के महत्व को उजागर करता है।
18 अप्रैल 2025 को विश्व धरोहर दिवस पर हमारी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों को संजोने और संरक्षित करने का संकल्प लें।

हर साल 18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस मनाया जाता है, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्मारक एवं स्थल दिवस भी कहा जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य विश्वभर की सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों के संरक्षण और सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। यह दिवस न केवल ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करता है, बल्कि हमें हमारी धरोहरों को बचाने के लिए प्रेरित करता है।

विश्व धरोहर दिवस का महत्व

हमारी सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरें अतीत की गवाही देने वाली धरोहरें हैं, जो हमारे इतिहास, परंपराओं और संस्कृतियों की पहचान कराती हैं। ये धरोहरें न केवल हमारी सांस्कृतिक विविधता  को प्रदर्शित करती हैं, बल्कि पर्यटन के माध्यम से आर्थिक विकास का महत्वपूर्ण स्रोत भी बनती हैं। विश्व धरोहर दिवस उन धरोहरों की सुरक्षा के प्रति हमारे कर्तव्यों की याद दिलाता है जो वर्तमान में संकट में हैं।

इस वर्ष की थीम: “आपदाओं और संघर्षों से खतरे में धरोहर”

2025 की थीम “आपदाओं और संघर्षों से खतरे में धरोहर: तैयारी और ICOMOS की 60 वर्षों की सीख” ने इस बार वैश्विक स्तर पर जागरूकता फैलाने का कार्य किया। इस थीम के माध्यम से यह बताया गया कि आपदाओं, संघर्षों और जलवायु परिवर्तन के कारण कई धरोहरें खतरे में हैं और इनकी रक्षा करना बेहद जरूरी है।

भारत और विश्व धरोहर दिवस

भारत सांस्कृतिक धरोहरों का धनी देश है और यहां 43 विश्व धरोहर स्थल हैं, जिनमें ताजमहल, अजंता और एलोरा की गुफाएं, खजुराहो के स्मारक समूह, महाबलीपुरम के रथ मंदिर, काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, और सुन्दरबन जैसे स्थल शामिल हैं। ये धरोहरें भारत के सांस्कृतिक और प्राकृतिक वैभव को दर्शाती हैं और वैश्विक मंच पर हमारी पहचान को मजबूत करती हैं।

  • 2025 तक भारत के सभी विश्व धरोहर स्थलों की सूची

क्रमांक स्थल का नाम स्थान (राज्य) प्रकार सूची में शामिल होने का वर्ष
1 अजंता गुफाएँ                                            महाराष्ट्र                     सांस्कृतिक            1983
2 एलोरा गुफाएँ                                             महाराष्ट्र                    सांस्कृतिक             1983
3 आगरा किला                                             उत्तर प्रदेश                सांस्कृतिक            1983
4 ताज महल                   उत्तर प्रदेश सांस्कृतिक 1983
5 सूर्य मंदिर, कोणार्क  ओडिशा सांस्कृतिक 1984
6 महाबलीपुरम के स्मारक समूह तमिलनाडु सांस्कृतिक 1984
7 काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान असम प्राकृतिक 1985
8 मानस वन्यजीव अभयारण्य असम प्राकृतिक 1985
9 केवला देव राष्ट्रीय उद्यान राजस्थान प्राकृतिक 1985
10 गोवा के चर्च और मठ गोवा सांस्कृतिक 1986
11 खजुराहो के स्मारक समूह मध्य प्रदेश सांस्कृतिक 1986
12 हम्पी के स्मारक समूह कर्नाटक सांस्कृतिक 1986
13 फतेहपुर सीकरी उत्तर प्रदेश सांस्कृतिक 1986
14 पत्तदकल के स्मारक समूह कर्नाटक सांस्कृतिक 1987
15 एलीफेंटा की गुफाएँ महाराष्ट्र सांस्कृतिक 1987
16 चोल वंश के महान जीवित मंदिर तमिलनाडु सांस्कृतिक 1987
17 सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान  पश्चिम बंगाल प्राकृतिक 1987
18 नंदा देवी और फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान उत्तराखंड प्राकृतिक 1988
19 साँची के बौद्ध स्मारक मध्य प्रदेश सांस्कृतिक 1989
20 हुमायूं का मकबरा दिल्ली सांस्कृतिक 1993
21 कुतुब मीनार और इसके स्मारक दिल्ली सांस्कृतिक 1993
22 भारत की पर्वतीय रेल विभिन्न राज्य सांस्कृतिक 1999
23 महाबोधि मंदिर परिसर, बोधगया बिहार सांस्कृतिक 2002
24 भीमबेटका की शैलाश्रय चित्रकला मध्य प्रदेश सांस्कृतिक 2003
25 छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (पूर्व में विक्टोरिया टर्मिनस) महाराष्ट्र सांस्कृतिक 2004
26 चंपानेर-पावागढ़ पुरातात्विक उद्यान गुजरात सांस्कृतिक 2004
27 लाल किला परिसर दिल्ली सांस्कृतिक 2007
28 जयपुर का जंतर मंतर राजस्थान सांस्कृतिक 2010
29 पश्चिमी घाट महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु प्राकृतिक 2012
30 राजस्थान के पहाड़ी किले राजस्थान सांस्कृतिक 2013
31 रानी की वाव (पाटन, गुजरात) गुजरात सांस्कृतिक 2014
32 ग्रेट हिमालयन राष्ट्रीय उद्यान संरक्षण क्षेत्र हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक 2014
33 नालंदा महाविहार, नालंदा बिहार सांस्कृतिक 2016
34 कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान सिक्किम मिश्रित 2016
35 अहमदाबाद का ऐतिहासिक शहर गुजरात सांस्कृतिक 2017
36 विक्टोरियन गोथिक और आर्ट डेको एन्सेम्बल, मुंबई महाराष्ट्र सांस्कृतिक 2018
37 जयपुर शहर राजस्थान सांस्कृतिक 2019
38 काकतीय रुद्रेश्वर (रामप्पा) मंदिर तेलंगाना सांस्कृतिक 2021
39 धोलावीरा: एक सिंधु सभ्यता शहर गुजरात सांस्कृतिक 2021
40 शांतिनिकेतन पश्चिम बंगाल सांस्कृतिक 2023
41 होयसला मंदिरों के पवित्र समूह कर्नाटक सांस्कृतिक 2023
42 मोइडाम्स – अहोम राजवंश की समाधि प्रणाली असम सांस्कृतिक 2024
43 मुदुमल मेगालिथिक मेनहिर्स तेलंगाना सांस्कृतिक 2025

 

विश्व धरोहर दिवस के अवसर पर भारत में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इन कार्यक्रमों में संगोष्ठियां, कार्यशालाएं, और धरोहर स्थलों पर विशेष यात्राएं शामिल होती हैं। छात्रों और युवाओं को धरोहरों के महत्व को समझाने के लिए क्विज़ प्रतियोगिताएं, निबंध लेखन और चित्रकारी जैसी गतिविधियों का आयोजन भी किया जाता है।

धरोहरों की रक्षा में आ रही चुनौतियां

हालांकि, इन धरोहरों की सुरक्षा करना एक बड़ा कार्य है। वर्तमान में प्रदूषण, अवैध निर्माण, अतिक्रमण, और जलवायु परिवर्तन धरोहर स्थलों के लिए गंभीर खतरे उत्पन्न कर रहे हैं। भारत में ताजमहल का पीला पड़ना, कई ऐतिहासिक स्मारकों का क्षय होना, और संरक्षित क्षेत्रों में अतिक्रमण जैसी समस्याएं सामने आई हैं। इसके अलावा, प्राकृतिक आपदाएं जैसे भूकंप, बाढ़ और सुनामी भी धरोहर स्थलों के संरक्षण को चुनौती देती हैं।

धरोहर स्थलों की रक्षा करना सिर्फ सरकारी एजेंसियों का कार्य नहीं है; इसमें स्थानीय समुदायों की भागीदारी और जागरूकता भी आवश्यक है।

संरक्षण के उपाय

धरोहरों को बचाने के लिए हमें कई स्तरों पर प्रयास करने की जरूरत है:

  1. स्थानीय भागीदारी: स्थानीय समुदायों की सहभागिता से धरोहरों की रक्षा के लिए बेहतर परिणाम मिल सकते हैं।
  2. तकनीकी नवाचार: आधुनिक तकनीकों जैसे ड्रोन सर्वेक्षण, 3डी मैपिंग और संवेदनशील संरचनात्मक विश्लेषण का उपयोग धरोहर स्थलों की देखरेख में कारगर हो सकता है।
  3. शिक्षा और जागरूकता: युवाओं और बच्चों में धरोहरों की महत्ता के प्रति जागरूकता बढ़ाना महत्वपूर्ण है। स्कूलों और कॉलेजों में नियमित कार्यक्रम आयोजित होने चाहिए।
  4. कानूनी संरक्षण: सख्त नियम और कानून बनाकर अतिक्रमण और नुकसान को रोका जा सकता है।

भविष्य की दृष्टि

विश्व धरोहर दिवस हमें यह संदेश देता है कि हमारी धरोहरें हमारी पहचान हैं। इनके बिना हमारी सांस्कृतिक धरोहर अधूरी रह जाएगी। इनकी रक्षा करने के लिए हमें सामूहिक रूप से कार्य करना होगा और आने वाली पीढ़ियों के लिए इन्हें संरक्षित करना होगा।

आपदाओं और संघर्षों के समय में धरोहर स्थलों की सुरक्षा करना एक चुनौती है, लेकिन सही रणनीतियों और स्थिर प्रयासों से हम इन बहुमूल्य धरोहरों को बचा सकते हैं।

निष्कर्ष

विश्व धरोहर दिवस केवल एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह हमारे दायित्वों की याद दिलाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह दिन हमें प्रेरित करता है कि हम अपनी धरोहरों की रक्षा करें, उन्हें सहेजें और उनका सम्मान करें। विश्व धरोहर स्थलों को बचाने के लिए सामूहिक प्रयास ही इनकी सुरक्षा का सबसे प्रभावी तरीका है।

धरोहरें हमारी अतीत की यादें, वर्तमान की पहचान और भविष्य की धरोहर हैं। इन्हें सुरक्षित रखना हमारे और समाज दोनों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। 18 अप्रैल 2025 का यह दिन हमें प्रेरित करता है कि हम अपने सांस्कृतिक और प्राकृतिक खजाने को संरक्षित करने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ें।

18 अप्रैल: विश्व धरोहर दिवस के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से जानकारी

  1. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
    विश्व धरोहर दिवस की शुरुआत 1982 में अंतरराष्ट्रीय स्मारक और स्थल परिषद (ICOMOS) द्वारा की गई थी। इसके बाद, 1983 में इसे यूनेस्को द्वारा आधिकारिक रूप से मान्यता दी गई। इस दिवस को 18 अप्रैल को मनाने का निर्णय “संस्कृति और प्राकृतिक धरोहरों की सुरक्षा संबंधी सम्मेलन” को यादगार बनाने के लिए लिया गया। यह दिन हमारी धरोहरों के संरक्षण और उनके महत्व को वैश्विक स्तर पर सामने लाने के लिए समर्पित है।
  2. वैश्विक सहभागिता
    विश्व धरोहर दिवस दुनिया भर में विभिन्न देशों द्वारा अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। इन आयोजनों में कार्यशालाएं, जागरूकता अभियानों, और धरोहर स्थलों पर विशेष यात्राओं का आयोजन शामिल होता है। उदाहरण के तौर पर, कुछ देशों में स्थानीय धरोहर स्थलों की साफ-सफाई के लिए सामुदायिक अभियानों का आयोजन किया जाता है। ऐसे प्रयास हमें दिखाते हैं कि धरोहरों के संरक्षण में वैश्विक भागीदारी कितनी महत्वपूर्ण है।
  3. सतत पर्यटन का महत्व
    सतत पर्यटन का धरोहर स्थलों के संरक्षण में प्रमुख योगदान है। इसके माध्यम से न केवल धरोहर स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है, बल्कि आर्थिक रूप से स्थिरता भी प्राप्त होती है। जिम्मेदार यात्रा व्यवहार अपनाने और पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाने वाले तरीकों का उपयोग करके हम अपनी धरोहरों को लंबे समय तक संरक्षित रख सकते हैं।
  4. ICOMOS की 60वीं वर्षगांठ
    साल 2025 में ICOMOS की स्थापना को 60 साल पूरे हुए। इस अवसर पर थीम “आपदाओं और संघर्षों से खतरे में धरोहर: तैयारी और 60 वर्षों की सीख” रखी गई। इस दौरान उन प्रयासों पर विशेष जोर दिया गया जो आपदाओं और संघर्षों के समय में धरोहर स्थलों की रक्षा के लिए किए गए। यह वर्ष ICOMOS की उपलब्धियों को और भी व्यापक रूप से पहचान दिलाने का माध्यम बना।
  5. कार्यवाही के लिए प्रोत्साहन
    हम सभी को अपनी धरोहरों के संरक्षण के प्रति सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। इसके लिए हम स्वयंसेवी बन सकते हैं, अपनी जागरूकता बढ़ा सकते हैं, और यात्रा करते समय सतत पर्यटन के नियमों का पालन कर सकते हैं।
  6. धरोहर संरक्षण का संदेश
    धरोहर दिवस हमें यह संदेश देता है कि हमारी सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरें हमारी पहचान हैं। इनका संरक्षण केवल व्यक्तिगत प्रयासों से संभव नहीं है; इसके लिए सामूहिक प्रयास, वैश्विक जागरूकता, और कानूनी प्रतिबद्धता की आवश्यकता है।                          For More Infromation – https://pib.gov.in/

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