रूस ने PM मोदी को 9 मई की विजय दिवस परेड के लिया किया आमंत्रित

रूस ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 9 मई 2025 को आयोजित होने वाली 80वीं विजय दिवस परेड में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है। यह आयोजन रूस की राजधानी मास्को में होगा और द्वितीय विश्व युद्ध में सोवियत संघ की जीत की 80वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में मनाया जाएगा।

🕊️ विजय दिवस परेड का महत्व:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात विजय दिवस परेड 2025 के निमंत्रण के संदर्भ में
भारत-रूस संबंधों को और मज़बूत बनाते हुए, मास्को में होने वाली 80वीं विजय दिवस परेड के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रण देते हुए राष्ट्रपति पुतिन के साथ गर्मजोशी भरा अभिवादन
  • यह परेड हर साल 9 मई को आयोजित की जाती है और इसे विजय दिवस (Victory Day) के रूप में जाना जाता है।

  • यह दिन 1945 में नाजी जर्मनी पर सोवियत सेना की ऐतिहासिक जीत की स्मृति में मनाया जाता है।

  • मास्को के रेड स्क्वायर में आयोजित होने वाली यह परेड रूस के लिए एक गौरवपूर्ण सैन्य और ऐतिहासिक परंपरा मानी जाती है।

  • इस दिन सैन्य टुकड़ियां, युद्ध में प्रयुक्त हथियार, और दूसरे विश्व युद्ध के अनुभवी सैनिकों की झलक देखने को मिलती है।

🌏 भारत और रूस के रिश्तों की गहराई:

प्रधानमंत्री मोदी को आमंत्रित किया जाना, भारत-रूस द्विपक्षीय संबंधों की मज़बूती और सामरिक साझेदारी को दर्शाता है। दोनों देशों के बीच वर्षों से रक्षा, ऊर्जा, व्यापार और संस्कृति के क्षेत्रों में मजबूत सहयोग रहा है।

यह निमंत्रण सिर्फ एक औपचारिक आमंत्रण नहीं, बल्कि भारत की वैश्विक भूमिका और प्रतिष्ठा का भी प्रमाण है।

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विजय दिवस परेड 2025 के लिए प्रधानमंत्री मोदी को रूस का आमंत्रण: भारत-रूस संबंधों की नई झलक

रूस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 9 मई 2025 को मास्को में आयोजित होने वाली 80वीं विजय दिवस परेड में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है। यह परेड द्वितीय विश्व युद्ध में सोवियत संघ की नाजी जर्मनी पर जीत की याद में हर वर्ष आयोजित की जाती है और रूस में इसे ‘विक्ट्री डे’ के रूप में मनाया जाता है।

🎖️ विजय दिवस परेड का इतिहास और महत्व

विजय दिवस परेड रूस के लिए एक ऐतिहासिक और गर्व का अवसर होता है, जहाँ रेड स्क्वायर पर भव्य सैन्य प्रदर्शन, टैंकों की परेड, युद्धक विमानों की उड़ानें और विशेष अतिथियों की उपस्थिति देखी जाती है। यह आयोजन द्वितीय विश्व युद्ध में सोवियत संघ की निर्णायक भूमिका को सम्मान देने के लिए होता है।

🌐 भारत-रूस संबंधों की मजबूती

प्रधानमंत्री मोदी को यह आमंत्रण, भारत और रूस के बीच वर्षों से चले आ रहे मजबूत रणनीतिक संबंधों का प्रमाण है। दोनों देशों ने रक्षा, अंतरिक्ष, ऊर्जा और व्यापार जैसे क्षेत्रों में सहयोग किया है। इस निमंत्रण से यह भी स्पष्ट होता है कि भारत की वैश्विक पहचान लगातार बढ़ रही है।

🇮🇳 भारत की ऐतिहासिक भागीदारी

भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय सैन्य सहयोग नया नहीं है। वर्ष 2015 में भी भारतीय सैनिकों ने मास्को की परेड में हिस्सा लिया था। भारत के हजारों सैनिकों ने द्वितीय विश्व युद्ध में हिस्सा लिया था, जिनका योगदान अब वैश्विक मंच पर भी सराहा जाता है।

✈️ परेड की विशेषताएं

इस वर्ष की परेड खास इसलिए भी है क्योंकि यह 80वीं वर्षगांठ होगी, जिसमें कई आधुनिक हथियारों और नई सैन्य तकनीकों का प्रदर्शन किया जाएगा। इसमें रूस के राष्ट्रपति के साथ अन्य विदेशी नेताओं के शामिल होने की संभावना भी है।

🕊️ संभावित संदेश

अगर प्रधानमंत्री मोदी इस परेड में हिस्सा लेते हैं, तो यह वैश्विक स्तर पर शांति, सहयोग और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने का संकेत होगा। यह आयोजन न केवल सैन्य शक्ति का प्रदर्शन है, बल्कि यह दुनिया को एकता और इतिहास से सीखने का भी संदेश देता है।

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